राजा और भिखारी की प्रेरणादायक कहानी – life success stories
नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है हमारे Hindi times ब्लॉक में दोस्तो एक बार की बात है एक भिखारी 1 दिन सुबह अपने घर से बाहर निकला। उस दिन त्यौहार का दिन था उसे गांव में बहुत सी भिक्षा मिलने की संभावना थी। वो अपने झोली में थोड़े से चावल के दाने डालकर बाहर आया। चावल के दाने उसने इसलिए डाले ताकि लोगों को दिखाई दे की किसी और ने भी उसको भिक्षा दी है। रास्ते पर आते ही सामने से राजा का रथ आता हुआ दिखाई दिया। उसने सोचा आज राजा से अच्छी भिक्षा मिल सकती है राजा का रथ उसके पास आ कर रुक गया। उसने सोचा धन्य है मेरा भाग्य आज तक कभी भी उसे राजा से भीख नहीं मिली थी।
क्योंकि हमेशा ही द्वारपाल उसे बाहर से ही लौटा देते थे आज राजा स्वयं ही उसके सामने आकर रुक गया था। भिखारी सोच ही रहा था कि अचानक राजा उसके सामने एक याचक की भाँति आकर खड़ा हो गया और उसे कहने लगा कि आज मैं तुमसे भिक्षा मांग रहा हूं। राजा ने उस भिखारी से कहा, आज देश पर बहुत बड़ा संकट आया है। इसलिए ज्योतिषियों ने कहा है की इस संकट से उबरने के लिए मुझे अपना सब कुछ त्याग कर एक भिक्षुक की भाँति भिक्षा ग्रहण करके लाऊँगा तभी इसका उपाय संभव है। तुम आज मुझे पहले आदमी मिले हो इसलिए मैं तुमसे भीख मांग रहा हूं।
life success stories
यदि तुमने मुझ मना कर दिया तो देश का संकट टल नहीं पायेगा। इसलिए तुम मुझे कुछ भी भिक्षा में दे दो। भिखारी तो सारा जीवन मांगता ही आया था कभी देने के लिए उसका हाथ उठा ही नहीं था। तब वो सोच में पड़ गया कि आज कैसा समय आ गया की एक भिखारी से भीख मांगी जा रही है और वह मना भी नहीं कर सकता। बड़ी मुश्किल से एक चावल का दाना निकालकर उसने राजा को दे दिया राजा वही एक चावल का दाना लेकर खुश होकर आगे बढ़ गया।
सब ने उस राजा को बढ़ – बढ़ कर भिक्षा दी, परंतु भिखारी को तो चावल के दाने का गम सताने लगा जैसे तैसे साम को वह घर आया, जैसे ही भिखारी की पत्नी ने भिखारी की झोली पलटी तो उस भिख के अंदर एक सोने के चावल का दाना नजर आया। भिखारी की पत्नी ने जब उस सोने के दाने के बारे में पूछा तो भिखारी बहुत तेज छाती पीट कर रोने लगा, जब उसकी पत्नी ने उसे रोने का कारण पूछा तो उसने सारी बात बताई। उसने अपनी पत्नी से कहा, तुम्हें पता है कि जो हम दान देते है वही हमारे लिए स्वर्ण बन जाता है और जो हम इकट्ठा कर लेते हैं वह सदा के लिए मिट्टी हो जाता है। उस भिखारी ने कहा, मैंने सिर्फ एक चावल का दाना दिया था और सिर्फ एक ही दाना मुझे सोने के रूप में प्राप्त हुआ।
Inspirational stories of success
इसलिए ही मैं रो रहा हूं उस दिन से उस भिखारी ने भिक्षा मांगना छोड़ दिया और मेहनत करके अपने परिवार का भरण पोषण करने लगा, जिसने सदा दूसरों के आगे हाथ फैला कर भीख मांगी थी अब वे खुली हाथ से वह दान पुण्य करने लगा। धिरे-धिरे उसके भी दिन बदलने लगें और जो लोग सदा उसे दूरिया बनाया करते थे, अब वो उसके समीप आने लगें। दोस्तों इस कथा का यही सीख है कि जिस इंसान की प्रवृत्ति देने की होती है उसे कभी किसी चीज की कमी नहीं होती और जो हमेशा लेने की नीयत रखता है उसका कभी भी पूरा नहीं पड़ता। तो दोस्तों कैसी लगी, आपको यह कहानी ऐसी और कहानियों के लिए हमारे Website Hindi Times पर बने रहे।