बाँसुरीवाला और चूहों की कहानी
चौपट सिंह:- ( चूहों से ) अरे वाह ! कितना सुंदर शहर है। देखो चारों और पेड़ – पौधे हैं। क्यों न हम इसी शहर में रहें ?
चिंटू :- ( उछलकर ) हाँ, कितना मज़ा आएगा। परंतु मैंने सुना है कि इस शहर का मेयर बहुत कंजूस है।
Hindi Story For Class 4 – Bansuri wala Aur Chuhe Ki kahani
चौपट सिंह :- अरे, हम मेयर से जाकर विनती कर लेंगे। इतने बड़े शहर में वे दे दें हमको एक स्थान, कूड़ा ढेर – सा हो जहाँ पर हम न करेंगे परेशान और सब चूहे चौपट सिंह के साथ मेयर के पास जाते हैं और उससे विनती करते हैं। आए हम हैं आपके पास विनती नहीं अनेक, बहुत जगह है इस नगरी में हमको भी दे दो एक स्थान।
मेयर :- ( हैरानी से ) अरे सोच – समझकर बोलो। तुम लोगों को मैं जगह कैसे दे दूँ ? खा जाओगे सबकी चीजें कुछ भी नहीं बचेगा। हम सब दुबले हो जाएँगे नाप तुम्हारा बढ़ेगा।
चौपट सिंह :- ( हाथ जोड़कर ) चुपचाप हम पड़े रहेंगे नहीं करेंगे तंग, फटे – पुराने जूते – चप्पल खाया करेंगे हम।
( मेयर को गुस्सा आ जाता है। वह जोर से चिल्लाता है। )
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मेयर :- ऐसे नहीं मानोगे तुम दरबान को अभी बुलाता हूँ, पूँछ पकड़कर तुम सबकी बाहर तुम्हें भिजवाता हूँ। तब मेयर सब चूहों को धक्का देकर बाहर करवा देता है। सब चूहे गुस्से से भरकर मेयर के घर, बाहर, थाली, दरवाजे, संदूक, यहाँ तक कि उसकी दाढ़ी में भी घुस जाते हैं। चारों तरफ़ चूहें ही चूहे देखकर मेयर परेशान हो जाता है। वह चूहों से पीछा छुड़ाने के लिए इनाम की घोषणा करवाता है।
नगाड़ेवाला :- ( नगाड़ा बजाते हुए ) शैतान चूहों से सबका जो पीछा छुड़वाएगा, स्वर्ण मुद्राओं का थैला वह इनाम में पाएगा।
( अचानक एक आदमी के पीछे से चौपट सिंह नगाड़ेवाले को गुदगुदाता है और वह उछल पड़ता है । )
चौपट सिंह :- ( चिढ़ाते हुए ) कह दो मेयर से तुम जाकर कर दे यह ऐलान, चूहे तो अब यहीं रहेंगे भागेंगे इसान।
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( तभी अचानक बाँसुरी की मीठी तान सुनाई पड़ती है। तान सुनकर सब चूहे बाँसुरीवाले के पीछे – पीछे चलने लगते हैं। वह उन्हें एक नदी में ले जाकर छोड़ आता है। )
बाँसुरीवाला :- अब बाँसुरीवाला मेयर से अपना इनाम लेने आता है।
बाँसुरीवाला :- मैंने किया है वादा पूरा अब है आपकी बारी, जल्दी से इनाम निकालें झोली है मेरी खाली।
मेयर :- ( आश्चर्य से ) कौन – सा इनाम ? क्या कहते हो मस्त – कलंदर किया है तुमने क्या ? चूहों ने तो डूबकर खुद ही किया है अपना खात्मा।
बाँसुरीवाला :- ( गुस्से से ) याद रखो तुम यह मक्कारी महँगी बहुत पड़ेगी, कभी किसी को धोखा देने की हिम्मत नहीं जुटेगी।
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( बाँसुरीवाला दुखी होकर वहाँ से चला जाता है। वह एक पेड़ के नीचे उदास होकर बैठ जाता है। तभी वहाँ कुछ बच्चे आकर बाँसुरीवाले से उदास होने का कारण पूछते हैं। बाँसुरीवाला उन्हें सब कुछ सच – सच बता देता है। तभी एक बच्चा उसके कान में कुछ कहता है। बाँसुरीवाला बाँसुरी बजाता है। सब बच्चे उसके साथ गुफा की ओर चल देते हैं। )
( इधर बच्चों के घर न पहुंचन से माता – पिता परेशान हैं। वे सब मेयर के पास जाते हैं। )
सब बच्चों के माता – पिता :- मेयर साहब ! मेयर साहव ! जल्दी आइए। हमारे बच्चों को मस्त – कलंदर ने गुफा में बंद कर दिया है। आपकी बेईमानी के कारण सजा मिली हम सबको, वादा करके पीछे हटना नहीं है भाता आपको।
मेयर :- ( परेशान होकर ) चलो, अभी मैं चलता हूँ आप सबके साथ, जाकर वहाँ विनती करूंगा मस्त – कलंदर के पास। अहसास हुआ है मुझको अब गलती जो मैंने की है, कभी भी वादा न तोडूंगा कसम ये मैंने ली है।
( मेयर और सब लोग बाँसुरीवाले के पास जाते हैं। )
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मेयर :- ( बाँसुरीवाले से ) माफ़ कर दो मुझको भैया गलती हुई हे मुझसे, वापस कर दो इनके बच्चे बदला क्यों लेते हो इनसे ? जो भी माँगोगे तुम मुझसे इनाम वही मैं दूंगा, अब किसी का दिल न दुखाऊँ ध्यान सदा मैं रखूगा।
बाँसुरीवाला :- ठीक है, अगर आप कहते हैं तो मैं बच्चों को छोड़ देता हूँ। परंतु एक बात हमेशा ध्यान में रखना कि कभी भी किसी का दिल मत दुखाना। मुझे इनाम में केवल रहने के लिए स्थान व सब लोगों का साथ ही चाहिए। दर – दर भटका हूँ मैं तो, पाने को दो रोटी घर, कपड़ा कुछ भी नहीं है ये बंसी ही मेरा साथी।
( मेयर बाँसुरीवाले को इनाम दे देता है। सब बच्चे दौड़कर अपने माता – पिता के पास चले जाते हैं। बाँसुरीवाला अपनी बाँसुरी बजाता है और सबके साथ शहर की ओर चल देता है। )
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