Interesting science articles for students | इन्तेरेस्तिंग साइंस आर्टिकल्स फॉर स्टूडेंट्स

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Interesting science articles for students

1:- हम एक खास आयु तक ही क्यों बढ़ते हैं ?

हम सबके बढ़ने की एक निश्चित उम्र होती है। हमारे शरीर की अन्त: स्रावी ग्रंथियां बढ़ोतरी पर नियंत्रण रखती हैं। विशेषकर थाइराइड ग्रंथि, पिट्यूटरी ग्रंथि, थाइमस ग्रंथि और कुछ लिंग ग्रंथियां वृद्धि को नियंत्रित करती हैं। जब शिशु जन्म लेता है तो उसकी थाइमस ग्रंथि काफी बड़ी होती है। चौदह – प्रन्द्रह साल की आयु के बाद यह ग्रंथि सिकुड़ने लगती है। इस आयु में लिंग ग्रंथियां वृद्धि का काम देखती हैं। Interesting science articles for students

20 – 22 वर्ष की आयु तक व्यक्ति परिपक्व हो जाता है और इस उम्र के बाद उसकी वृद्धि रुक जाती है। इस आयु के बाद वृद्धि करने वाली ग्रंथियों की क्रिया धीमी हो जाती है। इसीलिए मनुष्य एक खास आयु तक ही बढ़ते है। वृद्धि की दर अलग – अलग मौसमों में अलग – अलग होती है। बच्चे जाड़ों की अपेक्षा गर्मियों में तेजी से बढ़ते हैं।

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2:- जब नीचे उड़ता हुआ वायुयान ऊपर से गुजरता है तो कभी – कभी टी.वी.स्क्रीन पर चित्र कुछ हिलते हुए दिखाई पड़ते हैं। ऐसा क्यों ?

जब नीचे उड़ता हुआ वायुयान ऊपर से गुजरता है तो कभी - कभी टी.वी.स्क्रीन पर चित्र कुछ हिलते हुए दिखाई पड़ते हैं। ऐसा क्यों ?
जब नीचे उड़ता हुआ वायुयान ऊपर से गुजरता है तो कभी – कभी टी.वी.स्क्रीन पर चित्र कुछ हिलते हुए दिखाई पड़ते हैं।

 

नीचे उड़ता हुआ वायुयान टी.वी.सिग्नल को परावर्तित कर देता है। सीधे आने वाले सिग्नल और परावर्तित सिग्नल में व्यतिकरण के कारण टी.वी.स्क्रीन पर चित्र कुछ हिलते हुए दिखाई देते हैं।

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3:- साबुन के बुलबुले की पतली परत पर या पानी की सतह पर तेल की बूंद की पतली परत श्वेत प्रकाश डालने पर सुन्दर रंग दिखाई पड़ते हैं। ऐसा क्यों ?

साबुन के बुलबुले की पतली परत पर या पानी की सतह पर तेल की बूंद की पतली परत श्वेत प्रकाश डालने पर सुन्दर रंग दिखाई पड़ते हैं
 साबुन के बुलबुले की पतली परत पर या पानी की सतह पर तेल की बूंद की पतली परत श्वेत प्रकाश डालने पर सुन्दर रंग दिखाई पड़ते हैं।

 

साबुन के बुलबुले व तेल की बूंद की पतली परत की ऊपरी सतह और निचली सतह से परावर्तित किरणें एक – दूसरे के साथ व्यतिकरण करती हैं। जिसकी वजह से हमें परत रंगीन दिखलाई पड़ती है। अत: संपोषी व्यतिकरण और विनाशी व्यतिकरण का बना तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करता है। श्वेत प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना होता है।

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4:- डीजल इंजन की दक्षता ऑटो इंजन से अधिक हो सकती है, ऐसा क्यों ?

डीजल इंजन की दक्षता ऑटो इंजन से अधिक हो सकती है, ऐसा क्यों ?
डीजल इंजन की दक्षता ऑटो इंजन से अधिक हो सकती है, ऐसा क्यों ?

 

डीजल इंजन की दक्षता ऑटो इंजन से अधिक हो सकती है क्योंकि डीजल इंजन में केवल वायु ही संपीड़ित होती है अत: उद्धेष्य संपीडित निष्पति अधिक हो सकती है। क्योंकि इसमें विस्फोट होने का कोई खतरा नहीं रहता। ऑटो इंजन में पेट्रोल वाष्प मिश्रित वायु संपीडित होती है। अतः सम्पीडन निष्पति अधिक नहीं हो सकती है अन्यथा स्थायी होने से पहले ही पेट्रोल विस्फोटित हो जाएगा। Interesting science articles for students

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5:- नल के नीचे रखे घड़े भरने का अनुमान उसकी आवाज से लग जाता है, ऐसा क्यों ?

नल के नीचे रखे घड़े भरने का अनुमान उसकी आवाज से लग जाता है, ऐसा क्यों ?
नल के नीचे रखे घड़े भरने का अनुमान उसकी आवाज से लग जाता है, ऐसा क्यों ?

 

नल के नीचे रखे घड़े में जैसे – जैसे पानी भरता है, वायु स्तम्भ की लम्बाई कम होती जाती है। यह वायु स्तम्भ एक बन्द आर्गन पाइप की तरह कार्य करता है। एक विशेष स्थिति में वायु स्तम्भ के कम्पन की आवृत्ति अधिक होती जाती है। आवृत्ति के बढ़ने से ध्वनि तीव्र होती जाती है। इस ध्वनि की तीव्रता से घड़े के भरने का अनुमान लग जाता है।

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6:- तेज आंधी, तूफान के समय मकान की हल्की छत उड़ जाती है, ऐसा क्यों ?

तेज आंधी, तूफान के समय मकान की हल्की छत उड़ जाती है, ऐसा क्यों ?
तेज आंधी, तूफान के समय मकान की हल्की छत उड़ जाती है, ऐसा क्यों ?

 

जब आंधी बहुत तेजी से छत के ऊपर से बहती है तो बरनौली के सिद्धांत से छत के ऊपर की हवा का दाब काफी कम हो जाता है। कमरे के अन्दर की हवा जिसका दाब अधिक होता है, छत को वैसे के वैसे उठा देती है। इसीलिए आंधी आने पर प्रायः छप्पर या टीन उड़ जाते हैं। Interesting science articles for students

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7:- कान के पास खाली बर्तन जैसे लोटा, थाली आदि रखने पर गुनगुन की ध्वनि आती हैं, ऐसा क्यों है ?

कान के पास खाली बर्तन जैसे लोटा, थाली आदि रखने पर गुनगुन की ध्वनि आती हैं, ऐसा क्यों है ?
कान के पास खाली बर्तन जैसे लोटा, थाली आदि रखने पर गुनगुन की ध्वनि आती हैं, ऐसा क्यों है ?

 

वायु के कण जब बर्तन से टकराते हैं तो वह कम्पन्न करता है। उसके कम्पन करने से वायु स्तम्भ के कण भी कम्पन करते हैं। यह कण ही लोटा, थाली आदि बर्तन में गुनगुन की ध्वनि पैदा करते हैं। Interesting science articles for students

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8:- कुत्ते रात में ही क्यों अधिक भौंकते हैं ?

कुत्ते रात में ही क्यों अधिक भौंकते हैं ?
कुत्ते रात में ही क्यों अधिक भौंकते हैं ?

 

कुत्ता एक वफादार जानवर है। इसके सूंघने की शक्ति इतनी अधिक होती है और यह 2 लाख गुना हल्की गंध को भी पहचान सकता है। यह किसी भी प्राणी – मात्र की आहट और उसकी गंध को मस्तिष्क तंत्रिका में सुरक्षित कर लेता है। इस गंध को दोबारा सूंघने पर उस प्राणी का प्रतिबिम्ब उसके मस्तिष्क तंत्रिकाओं में सुरक्षित हो जाता है।

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किसी भी प्राणी के पसीने की गंध या उसके बोलने का उच्चारण यदि रात के सन्नाटे में महसूस किया जाए तो वातावरण शान्त होने के कारण वह जल्दी से मस्तिष्क तंत्रिका को प्रभावित करता है। यही गंध या बोलने की ध्वनि दिन के शोरगुल में कुत्ता कम महसूस कर पाता है। Interesting science articles for students

दरअसल दिन में सूर्य के प्रकाश के कारण वातावरण में गर्मी रहती है, जिसमें किसी भी प्राणी के पसीने की गंध जल्दी वाष्पित हो जाती है। रात में सूर्य का प्रकाश नहीं होता। इसीलिए प्राणियों की गंध कुत्ता जल्दी अपने मस्तिष्क में समाहित कर लेता है। इसी कारण कुत्ता रात में अधिक चौकन्ना हो जाता है और जरा – सी आहट पर भौंकने लगता है।

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9:- किसी वस्तु का ताप धीर – धीरे बढ़ाने पर पहले लाल रंग की तरंग दैर्ध्य क्यों दिखाई देती हैं ?

किसी वस्तु का ताप धीर - धीरे बढ़ाने पर पहले लाल रंग की तरंग दैर्ध्य क्यों दिखाई देती हैं ?
किसी वस्तु का ताप धीर – धीरे बढ़ाने पर पहले लाल रंग की तरंग दैर्ध्य क्यों दिखाई देती हैं ?

 

दृश्य क्षेत्र में लाल रंग की तरंग दैर्ध्य सबसे अधिक होती है। जब किसी वस्तु को गर्म करते हैं तो यह बड़ी तरंग दैर्ध्य की विकिरण तरंग दैर्ध्य उत्सर्जित करती है। इसीलिए सबसे पहले वस्तुएं गर्म करने पर लाल रंग की दिखाई देती हैं।

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10:- आकाश में ऊंचाई पर उड़ते हुए पक्षियों की छाया पृथ्वी पर नहीं दिखाई देती हैं, क्यों ?

आकाश में ऊंचाई पर उड़ते हुए पक्षियों की छाया पृथ्वी पर नहीं दिखाई देती हैं, क्यों ?
आकाश में ऊंचाई पर उड़ते हुए पक्षियों की छाया पृथ्वी पर नहीं दिखाई देती हैं, क्यों ?

 

आकाश में ऊंचाई पर उड़ते हुए पक्षियों की छाया पृथ्वी पर नहीं दिखाई देती है क्योंकि जब प्रकाश उत्पादक अपारदर्शी वस्तु से बहुत बड़ा होता है तो उस वस्तु की छाया एक निश्चित दूरी तक ही बनती है। पक्षियों की तुलना में प्रकाश उत्पादक सूर्य बहुत बड़ा है और पृथ्वी से उसकी दूरी अधिक है। इसीलिए पक्षियों की छाया पृथ्वी पर नहीं पड़ती है।

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