राजा और राजकुमारी की हिंदी कहानी
Do lafzon ki kahani : दौलतपुर गांव में एक राजा अपनी पुत्री राजकुमारी तारा के साथ रहते थे।
वह उनकी एकलौती पुत्री थी, जो ऐसे आराम से महल में रहती थी।
वह एक राजकुमारी होने के नाते उनके चारों तरफ सिपाहियों का पहरा रहा था वह महल से बाहर भी नहीं जा पाती थी।
राजकुमारी सिपाहियों से तंग आकर अपने पिताजी से कहती है,
पिताजी मुझे महल के बाहर की दुनिया देखनी है बाहर लोग कैसे रहते हैं और मुझे सहेलियां भी बनानी है।
राजा यह सुनकर अपनी पुत्री को मना कर देते हैं, वह कहते हैं तुम्हारा महल से बाहर जाना ठीक नहीं होगा।
इतने में उनकी पुत्री बोलती है, पिताजी आपके कोई शत्रु भी नहीं है, फिर मुझे किस बात का खतरा।
पुत्री के जिद के कारण राजा मान जाते हैं। वह अपने पुत्री को महल से बाहर जाने की इजाजत दे देते हैं।
लेकिन राजा अपनी पुत्री से कहते हैं कि तुम्हारा कोई ख्याल रखने के लिए होना चाहिए। राजकुमारी तारा अपने पिताजी से कहती हैं,
पिताजी मैं आपकी दासी के घर उनकी पुत्री बनकर रहूंगी तारा के पिताजी मान जाते हैं।
राजकुमारी तारा महल के बाहर दासी के घर उनके साथ उनकी बेटी बनकर रहने लगी।
वह दासी के घर उसके कामों में हाथ बताती लेकिन दासी मना कर देती है राजकुमारी आप यह क्या कर रही हैं।
अगर राजा जी को यह सब पता चल गया वह मुझे दंडित करेंगे।
राजकुमारी रहती है तुम डरो मत यह मैं सब कुछ अपने खुद के मर्जी से कर रही हूं तो तुम्हें वह क्यों दंडित करेंगे।
Do lafzon ki Hindi Kahani
एक दिन राजकुमारी कुएं से पानी निकल रही थी तभी अचानक उनका हाथ फिसलता है।
और रसिया उनके हाथों में उलझ जाती हैं वह दर्द से सहायता के लिए पुकार रही थी।
तभी वहां एक नौजवान आता है और उनकी मदद करता है। राजकुमारी तारा उस नौजवान को धन्यवाद करती हैं।
वह राजकुमार तारा को देखकर उन पर मोहित हो जाता है, और वह नौजवान राजकुमारी से विवाह के लिए आग्रह करता है।
रानी नौजवान के बातों का जवाब नहीं देती है।
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यह सभी बातों को राजा के गुप्तचर सुन लेते हैं और सारी बात राजा को बता देते हैं।
राजा राजकुमारी तारा से मिलने आते हैं और पूछते हैं, वह नौजवान कौन था राजकुमारी सारी बात अपने पिताजी को बताती हैं।
राजा कहते हैं पुत्री तुम उस गरीब व्यक्ति के साथ कैसे जीवन व्यतीत करोगी। राजकुमारी कहती है पिताजी मुझे उस लड़के से विवाह करना है,
जो मुझे पसंद करें ना कि मेरी दौलत शोहरत को राजकुमारी तारा उस नौजवान की परीक्षा लेने का विचार बनाती है।
एक दिन बागीचे में उस नौजवान से करती है, मैं बहुत गरीब हूं मैं तुमसे विवाह नहीं कर सकती।
इतने में वह नौजवान बोलता है, प्रेम में गरीब का क्या मोल मैं तुमसे प्रेम करता हूं और मैं विवाह के लिए धन-संपत्ति नहीं देखा।
राजकुमारी तारा मुस्कुराती है और अपने राजकुमारी होने की सच्चाई उस नौजवान को बताती हैं।
Do lafzon ki kahani – Hindi Kahaniyan
अपनी और नौवजवान के बिच की बाते सारी बातें तारा अपने पिताजी से बताती है,
उसके पिताजी विवाह के लिए मान जाते हैं और विवाह के लिए तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
वह नौजवान अपने हाथी घोड़ा के साथ राजकुमारी के महल आता है।
राजकुमारी उसने जवान को देखकर आश्चर्य हो जाती है क्योंकि वह नौजवान एक राजकुमार था।
जो की राजकुमारी की ही तरह वह भी अपने माल से निकला था प्रेम की तलाश में।
राजकुमारी के पिता उस राजकुमार को पहचान लेते हैं वह उनके ही मित्र का पुत्र था।
यह जानकर वह दोनों बहुत ही खुश होते हैं और उनकी विवाह कर दी जाती है।
और वह दोनों खुशी-खुशी अपने जीवन को व्यतीत करते हैं। ( do lafzon ki kahani ).