Science facts everyone should know | साइंस फैक्ट्स एवरीवन शुड क्नोव
6 science facts everyone should know
1:- बिजली से लगी आग को पानी द्वारा नहीं बुझाना चाहिए।क्यों ?
पानी, बिजली का सुचालक है। अतः बिजली से लगी आग को पानी द्वारा नहीं बुझाना चाहिए। विद्युत करंट पानी की धार के साथ बुझाने वाले व्यक्ति तक पहुंच कर घातक सिद्ध हो सकता है अर्थात उस व्यक्ति को करंट लग सकता है जिससे उसकी मृत्यु भी हो सकती है। बिजली से लगी आग को बुझाने के लिए विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ युक्त अग्निशामक यंत्र होते हैं। इन यंत्रों में भरा पदार्थ विद्युत कुचालक होता है।
कार्बन डाइऑक्साइड युक्त अग्निशामक यंत्र ऐसी आग को बुझाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। सूखी रेत का प्रयोग भी बिजली से लगी आग को बुझाने के लिए किया जा सकता है। यह सुनिश्चित होने पर कि आग लगे स्थान की विद्युत आपूर्ति पूर्णतः बंद कर दी गई है, तब आग बुझाने के लिए पानी भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
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2:- गैस जलाते वक्त सिलिन्डर आग क्यों नहीं पकड़ता ?
गैर का चूल्हा ( तरल पेट्रोलियम गैस ) जब जलाते हैं तो सिलिन्डर में भरी गैसे आग क्यों नहीं पकड़ती। दरअसल जब इस गैसे का चूल्हा माचिस या लाइटर से सुलगाते हैं तब चूल्हे के दाहक ( स्टोव बर्नर ) में तरल पेट्रोलियम गैस वायु से संयुक्त हो जाती है। वायु से संयुक्त हुए बिना गैस जल ही नहीं सकती। अलावा इसके कोई गैस ( वात्तव में गैस व वायु का मिश्श्रण ) तभी दहकती है, गैस का दाहन तभी हो पाता है जब गैस के चंद अणुओं की चाल बढ़ाकर ज्वलनांक बिन्दु या प्रज्ज्वलन तक पहुंचा दी जाए। science facts everyone should know
माचिस या लाइटर वही काम करता है। अणुओं की अव्यवस्थित चाल को एक दम से बढ़ा देता है। फलस्वरूप गैस प्रज्ज्वलन ताप तक गर्म होकर जलने लगती है। सिलिन्डर भी आग पकड़ सकता है। बशर्ते उसमें हवा दाखिल हो जाए लेकिन सिलिन्डर में लगा रैग्यूलेटर ( गैस विनियामक ) ये काम नहीं करने देता है। इससे होकर गैस तो बाहर उठ सकती है लेकिन हवा दाखिल नहीं हो सकती। science facts everyone should know
सिलिन्डर का वह छेद सुराख भी तो बहुत संकरा होता है जिससे गैस बाहर आती है फिर खास किस्म की मजबूत रिसावरोधी नली ( पाइप ) भी सिलिन्डर के मुख से जुड़े विनियंत्रक ( रेग्यूलेटर ) से जुड़ी होती है जो गैस के दाखिले को रोकती है। यही वजह है कि स्टोव बर्नर ( चूल्हे के सुराखों चालकों से ) निकली गैस तो वायु से संयुक्त होकर जल उठती है, इसी कारण सिलिन्डर आग नहीं पकड़ता। science facts everyone should know
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3:- बरसात के मौसम में बादल काले क्यों होते हैं ?
जब प्रकाश किरणें किसी भी वायु पर गिरती हैं तो वह वस्तु प्रकाश की कुछ किरणों को परावर्तित कर देती है तथा शेष को अवशोषित कर लेती है। यदि वस्तु चमकीली है तो किरणें ज्यादा परावर्तित होगी और यदि काली हैं तो किरणें ज्यादा अवशोषित होंगी। यही नियम वर्षा के बादलों पर भी लागू होता है। इन बादलों में पानी की असंख्य बूंदे होती हैं। ये बूंदे सूरज की अधिक से अधिक किरणें अवशोषित कर लेती हैं । इससे पृथ्वी तक बहुत ही कर्म किरणें पहुंच पाती है तथा बादल काले होते जाते है। science facts everyone should know
पृथ्वी पर किरणे कम पहुंचने पर चारों ओर अंधेरा हो जाता है। धूप नहीं निकाल पता है। कभी – कभी बरसाती बादल गहरे काले होते हैं और कभी – कभी कम गहरे। बादलों का रंग पानी की बूंदों की संख्या पर निर्भर करता है।
4:- भगवान ने हमारे दो आंखें क्यों बनाई हैं ?
भगवान ने ऐसा क्यों किया यह बताना आम मानव के बस की बात नहीं है। लेकिन विज्ञान की दृष्टि से देखें तो एक आंख से हमें 165 डिग्री क्षेत्र ही दिखाई पड़ता है और दोनों आंखों से देखने पर 180 डिग्री क्षेत्र नजर आता है। बाई आंख किसी वस्तु के दाएं भाग को देखती है और दाई आंख बाएं भाग को। दोनों आंखें समान छवि को नहीं देखती। दोनों छवियों को मिलाकर दिमाग में जिआयमी छवि बनती है। science facts everyone should know
हमारी हर आंख अलग चित्र ग्रहण करती है, फिर भी हम हर वस्तु को दो – दो नहीं देखते बल्कि दोनों आंखे एक ही वस्तु को देखती हैं। उनके चित्र दिमाग में एक हो जाते हैं। दृष्टि स्नायु उन्हें एक ही बिन्दु पर ले जाती हैं। ठीक इसी तरह हम दोनों कानों से एक ही आवाजें सुनते हैं। science facts everyone should know
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5:- आतिशबाजी रंगीन क्यों दिखाई देती हैं ? आतिशबाजी की शुरुआत कब हुई ?
आतिशबाजी आमतौर से पोटेशियम नाइट्रेट, गंधक, कोयला आदि के मिश्रण से बनाई जाती है। आतिशबाजी को रंगीन बनाने के लिए उसमें दो धातुओं स्ट्रोनिशयम और बेरियम के लवण प्रयोग में लाए जाते हैं। इन लवणों को पोटेशियम क्लोरेट के साथ मिलाया जाता है। बेरियम के लवणों से हरा रंग पैदा होता है। स्ट्रोन्शियम सल्फेट से हल्के आसमानी रंग की रोशनी निकलती है। स्ट्रोन्शियम नाइट्रेट से लाल रंग का प्रकाश पैदा होता है। इन धातुओं के लवणों का मिश्रण जब आतिशबाजी के साथ जलता है तो कई रंग पैदा हो जाते हैं और आतिशबाजी रंग – बिरंगी दिखाई देती हैं।
वैसे आतिशबाजी की शुरूआत सबसे पहले चीन में हुई थी। सैंकड़ों वर्षों के बाद यूरोप, अरब और यूनान के देशों को इसकी जानकारी हुई। science facts everyone should know
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6:- चोट लगने से अस्थि भंग होने पर प्लास्टर चढ़ाने से अस्थियां पुनः कैसे जुड़ जाती हैं ?
चोट लगने पर प्लास्टर से अस्थियां जुड़ती ही हों ऐसा नहीं। टूटी हुई अस्थियां कई बार अपने स्थान से हट जाती है। उन्हे जुड़ने से पहले सही स्थिति में रखना आवश्यक होता है। प्लास्टर चढ़ाकर उस भाग को कस दिया जाता है जिससे वहां की टूटी हुई अस्थि सही अवस्था में रहे। अस्थियां कैल्शियम की बनी होती है और उस भाग में बनने वाला कैल्शियम ही उन्हें जोड़ने में सहायक होता हैं। इसी कारण चोट लगने पर प्लास्टर चढ़ाने से अस्थियां पुनः जुड़ जाती हैं।
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