Short Stories For Jr Kg Students – Best चूहा और ऋषि मुनि की कहानी
चूहा और ऋषि मुनि की कहानी
एक बहुत घने जंगल में एक ऋषि मुनि अपनी कुटिया में रहा करते थे। वह हमेशा तपस्या करते रहते थे। एक दिन जब वह अपने तपस्या में खोये हुए थे। तो उनकी गोद में एक चूहा आ गिरा। जो एक उड़ते हुए कौए की चोंच में से छूट गया था। मुनि ने उसे प्यार से उठाया और अपने बच्चे की तरह उसका पालन पोषण करने लगे।
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परंतु एक दिन एक बिल्ली उस पर झपट पड़ी और चूहा अपनी जान बचा मुनि की गोद में कूद पड़ा। ऋषि मुनि ने उसका बचाव करते हुए कहा तो तुम बिल्ली से डरते हो। क्यूं न तुम्हें बिल्ली ही बना दूं जाओ और बिल्ली बन जाओ। वाह! चूहा तो सचमुच बिल्ली में परिवर्तन हो गया।
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परंतु बिल्ली भी तो कुत्तों से डरती है और दूसरे दिन वही हुआ। बिल्ली पर कुत्ते ने हमला कर दिया और बिल्ली झट से ऋषि मुनि के पास आ गई। ऋषि मुनि ने कहा ओह! क्या अब तुम्हें कुत्ते से डर लगने लगा तो जाओ तुम भी कुत्ता बन जाओ।
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कहने की देर थी बिल्ली कुत्ते में परिवर्तित हो गई। परंतु क्या कुत्ता निडर हो सकता है ? अब उसे शेर से डर लगने लगा। तब फिर से चूहा ऋषि मुनि के पास गया।
तब ऋषि मुनि ने कहा क्यूं न तुम्हें शेर ही बना दूं, कम से कम फिर तो तुम्हें किसी से डर नहीं लगेगा। ओर फिर सचमुच वह कमजोर चूहा देखते ही देखते एक शक्तिशाली शेर बन गया। परंतु ऋषि मुनि तो उसे आज भी शायद चूहा ही समझ रहे थे। शेर ने सोचा जब तक ऋषि मुनि जिंदा रहेगा मुझे भी अपना पुराना रूप याद आता रहेगा।
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इसे समाप्त करने में ही मेरी भलाई है। न रहेगा बांस – न बजेगी बांसुरी। इससे पहले की शेर ऋषि मुनि पर हमला करे ऋषि मुनि ने उसके मन के भाव पढ़ लिये और बोले जाओ अहसान फरामोश दुबारा चूहा बन जाओ, तुम उसी लायक हो बलशाली शेर फिर दुबारा चूहा बन गया।
चूहा और ऋषि मुनि की कहानी से हमे क्या शिक्षा मिलती हैं।
शिक्षा:- अच्छा तो बताओ बच्चों इससे तुम क्या समझे की भोजन देने वाले हाथों को कभी घायल नहीं करना चाहिये।